पिता श्री

पिता श्री पर रचना...
मां धरती का रूप तो,पिता लगे 
आकाश//
जिनने हम सब को किया,जैसे दिव्य प्रकाश//

माता से कुछ कम नहीं, पूज्य पिता का मान//
मां देवी का बिम्ब तो,पिता लगे 
भगवान//.

ईश्वर के सम तुल्य है,पूज्य पिता का रूप//
इनको खुश रखिये सदा,लगे न दुख की धूप//

एक नारियल की तरह,रहे पिता श्री मान//
बाहर से चट्टान थे,अंदर रुई समान//

निर्धनता से झूझ कर,दिया हमें इक नाम//
हमको काबिल कर गये,कर जग से संग्राम//
       बृंदावन राय सरल सागर मप्र
मोबा...७८६९२१८५२५

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