कमर कसो ए दुनियावालों

कमर कसो ए दुनियावालों
भ्रष्ट-तंत्र और अफ़सरशाही के खिलाफ़ 
ज़मीर की जंग को ज़मींदोज़ ना करो
ज़मिरियत ज़म्हुरियत की पहचान 
याद रखो,अपने गिरेहबांह में झांको 
तुम आज़ाद हो आज़ाद रहो
लिए हाथों में मसाल क्रान्ति की 
जंग क्रांति की अब तुम छेड़ दो
नौकरशाह हो या फ़िर तथाकथित जनसेवक
लोकतंत्र के हत्यारों को
सबक सिखाने की ठानों
बेशर्मों की जागीर नही
आज़ाद हिन्द की आज़ाद हुकूमत 
जिसके आँखों में शर्म का पानी ना हो
वे क्या खाक सत्ता संभालेंगे
आज़ाद तुम हो, "मतवाले आज़ाद" बनों 
फाँसी की तख्त हो या फ़िर मौत की आमद हो
निडर, निष्पक्ष अडिग रहो
फ़ौलाद बने खड़े रहो 
याद रहे ,आन्दोलन एक सतत् क्रम है
बिगुल क्रांति का रोको मत 
नित आगे बढ़ते रहो
कमर कसो ए दुनियावालों
भ्रष्ट-तंत्र और अफ़सरशाही के खिलाफ़ 

✍कमलेश कुमार गुप्ता 
मन के झंझावातों से

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