गुन गाओ उसके जिसने ये सुन्दर जगत बनाया ।
क्यों आया था क्या खोया और तूने क्या है पाया ।।
चिन्तन ही सच्चा है लेकिन तुम सब चिन्ता छोड़ो ।
सकल विश्व हित हो तुम से अरु नेह कभी न तौड़ो ।।
जीवन का क्या लक्ष्य तुम्हारा क्यों मानव तन पाया ।......१
परम लक्ष्य है तेरा क्या यह तू तो समझ न पाया ।
परमेश्वर तक पहुंच न पाया जिसके लिए है आया ।।
भटका है तू भरमजाल में तुझे माया ने मटकाया ।......२
मुख्य काम को छोड़ जगत के जंजालों में जकड़ा ।
दो पैरों के चार हुए फिर बना छह पैरों का मकड़ा ।।
चतुर वही जो चाल बदल कर प्रभु सम्मुख हो आया ।...३
दृश्यमान यह जगत जा रहा काल के गाल समाता ।
जन्मों का ये भटका मानव अबतक समझ न पाता ।।
मक्खन सा मन निर्मल करले क्यों कलंक लिपटाया ।.....४
राम भजो चाहे श्याम जपो या शिव शंकर हनुमाना ।
देवी , सूर्य , गणेश , गजानन एक ईश भगवाना ।।
पंचदेव का पूजन करना क्या राम का नाम कमाया ।.....५
राजेश तिवारी "मक्खन"
झांसी उ प्र
0 टिप्पणियाँ