सावन की रिमझिम बहार

मां शारदे को नमन 🙏
नमन मंच 🙏
सावन गीत --

सावन की रिमझिम बहार --


सावन की रिमझिम बहार,
प्यासा मन तरस रहा!
मनभावन पडे रे फुहार,
भीगा तन हुलस रहा!

मनभावन सावन में बूँदों की लडियॉं,
झर झर मोती सी बरसे जल बुंदियाँ !
मोर, चकोर, कोयल, पपीहा पुकारे,
हरियाला सावन आया झूमी बहारें !
झूम के आईं बरसात,
भीगा मन हुलस रहा!!

मस्तानी गोरी की झंकृत मन की तारें,
भीगे तनमन रिमझिम बरसें फुहारें !
हरे-भरे उपवन हरे-भरे नजारे ,
 प्रकृति नटी के देखो अद्भुत इशारे !
सृष्टि है पुलकित आज,
भीगा मन हुलस रहा!!

  धानी चुनरिया ओढ़ी धरा ने ,
मुदित मन झूम के गाये तराने !
इन्द्रदेव चलाये भर भर पिचकारी ,
कजरी की तान गाये सखियाँ मनहारी !
सावन में रिमझिम प्रभात,
भीगा मन हुलस रहा!!

कदम्ब की डाल पर झूले पड़े हैं ,
सखियों के संग राधेश्याम झूले हैं !
बंसी की धुन सुन होवै मतवारी,
झूम झूम रास रचाये बांके बिहारी !
कोटि दिनकर सी शोभा आज ,
भीगा मन हुलस रहा!!

आया है सावन पिया परदेस में,
जिया बेक़रार हुआ मेरा मधुमास में !
रतियाँ गुजारूँ साजन की आस में,
मन मृदंग सूना राग गीत न साज में !
कैसे कटेगी रात,
भीगा मन हुलस रहा!!

धक धक छतियाँ धड़के काली रात में ,
नागफनी से कांटे उगे फूल पलाश में!
मावस अंधेरी घिरी ज्यों मेरी प्रभात में ,
 वारिधि ने घेरा चांद जैसे काली रात में! 
बिन साजन सजे ना गात,
भीगा मन हुलस रहा !!

✍ सीमा गर्ग मंजरी
 मेरी स्वरचित रचना
 मेरठ
सर्वाधिकार सुरक्षित @

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