इश्क़ की लौ में दिल का दिया जलाकर देखूँ सोचता हूँ मैं आज उसे हाथ लगाकर देखूँ।।

नज्म

इश्क़ की लौ में दिल का दिया जलाकर देखूँ
सोचता हूँ मैं आज उसे हाथ लगाकर देखूँ।।

मुहब्बत की राहों का मुझे कोई खबर नही
पर चाहत है की उससे दिल लगाकर देखूँ।।

कहते हैं इश्क में लोग खुद को फना कर देते हैं
प्यार में उसके मैं भी खुद को भुलाकर देखूँ।।

सुना हैं कि वो चाँद सी सुंदर  दिखती है
जरा मैं भी चाँदनी छटा में नहाकर देखूँ।।

इश्क़ प्यार पूजा इबादत गर सब एक है
तो मैं भी उसके दर पर सर झुका कर देखूँ।।
                   
                 @ सुजीत संगम

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