मंच को नमन
विषय- संकल्प से सृष्टि
हमारा संकल्प
निष्ठा विश्वास
दृढ़ होता है
जब
वह
संकल्प से सृष्टि बन जाता है
बिना भेदभाव के
सद पूर्ण व्यवहार से
जो कर्म किया जाता है
बिना फल की चाहे से
तब
वह
संकल्प से सृष्टि बन जाता है
उदार भाव
द्वेष ईर्ष्या का त्याग
देश प्रेम की भावना
अपनों से अपना
मानव विकास की चाहे
प्रत्येक जीव जंतु पर दया
का संकल्प
हृदय में पलता
तब
वह
संकल्प से सृष्टि बन जाता है
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक (कवि एवं समीक्षक) ,कोंच,
जनपद- जालौन ,उत्तर -प्रदेश-285205
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