तेरे नजदीक आने को



 तेरे नजदीक आने को
!!तेरे नजदीक आने को !!

क्यों ? हरदम सोचता रहता ,
तेरे नजदीक आने को ।
मैं क्या से क्या नहीं करता ?
तेरे नजदीक आने को । 
छिपाया हर कर्म मैने,
छिपाया हर धर्म मैने ।
छिपाया क्या?नहीं मैने ,
तेरे नजदीक आने को ।।
सहजता से लड़ा करता ,
उजाले ले अंधेरों में ।
अंधेरों से घिरा हूँ मैं ,
तेरे नजदीक आने को ।।
महकते ही रहोगे तुम ,
न मुरझाओगे जीवन में ।
टूट कर सिर्फ गिरूंगा मेँ ,
तेरे नजदीक आने को ।।
"अनुज" का वास्ता देकर ,
शहर बन जाते गाँवों में ,
शहर से हर शहर घूमां 
तेरे नजदीक आने को ।।

डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज "
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

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