आग -ए कलम (सावन में लग गई आग )




आग -ए कलम (सावन में लग गई आग )
आग -ए कलम 
तेरा संग पावन है इतना ,
कोई क्या ? मुझे जलाएगा ।
जब आग लगा दो ,महफिल में ,
सावन क्या ? आग बुझायेगा ।।
तुम प्राण प्रिया ,मन जान लिया ,
तकदीर -ए खुदा ,तुम्हें मान लिया ।
जो गले लगाया है तुमने ,
सावन भी गले लगाएगा ।।
तेरा संग पावन------------------
दुख दर्द मेरी ,हमदर्द मेरी ,
खुद गर्ज नहीं तुम,हो फर्ज मेरी ।
तुम मुस्काती हो इतना ,
सावन क्योँ ?मुझे रुलायेगा ।।
तेरा संग पावन --------------------
जम के जो चली ,तृण भर ना डरी ,
तुम जान मेरी , पहिचान मेरी ।
रहो साथ हरदम मेरे ,
सावन क्या ? मुझे सतयाएगा ।।
तेरा संग पावन ----------------------
जब चलती हो ,ना रुकती हो ,
ए कलम मेरी ,नहीं थकती हो ।
सावन में लग गई आग प्रिये ,
सावन ही प्यास बुझाएगा ।।
तेरा संग पावन है इतना  ,
कोई क्या ?मुझे जलाएगा ।
जब आग लगा दो महफिल में,
सावन क्या ? आग बुझायेगा ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज "
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश )
9458689065

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