🌹 गुरू 🌹
*************************
गुरू शब्द मन में आते ही
उमड़ पड़ा सम्मान बड़ा ;
देवों के भी गुरू हुए
उनके आगे न कोई 'धरा '।
कितनों कवियों ने गुणगान किए ,
कितनों ने आकार गढ़ा ,
सदियों से चलती आई है ,
गुरू शिष्य यह परम्परा ।
वह शब्द नहीं मुझको आता ,
जिससे उन सबका बखान करें ,
आज मैं जो कुछ भी हूँ - फल है ,
जो गुरुओं ने सिर पर हाथ धरे ।
करती हूँ कोटि नमन उनको ,
जो गुण - दुर्गुण मेरे परखे ,
उनको भी कोटि नमन मेरा ,
जो अब दुनिया में नहीं रहे ।
गुरू कृपा को जग में
कैसे कोई भुलाएगा ;
दीन -हीन नवजात शिशु को
कौन उठा घर लाएगा ?
बिन माँ - बाप के बच्चे को
चाणक्य सिवा कौन पढ़ाएगा ?
कौन है दूजा जो चंद्रगुप्त को
राजा सा चमत्कार दिखलाएगा ?
गुरू द्रोण बड़े बदनाम हुए
एकलव्य से अँगूठा दान लिए ;
अर्जुन को कोई टक्कर न दे
कर्ण का भी अपमान किए ।
जिस पर गुरू कृपा होगी
समझो उसे भगवान मिला ;
गुरू तुल्य न है दूजा
इतिहास से है यह ज्ञान मिला ।
प्रतिभा स्मृति
दरभंगा (बिहार )
0 टिप्पणियाँ