गुरु पूर्णिमा विशेष


🌹 गुरू 🌹

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गुरू शब्द मन में आते ही
उमड़ पड़ा सम्मान बड़ा ;
देवों के भी गुरू हुए
उनके  आगे    न   कोई  'धरा '।
कितनों कवियों ने गुणगान किए ,
कितनों   ने     आकार     गढ़ा ,
सदियों   से   चलती   आई   है ,
गुरू   शिष्य   यह    परम्परा  ।

वह  शब्द नहीं  मुझको आता ,
जिससे उन सबका बखान करें ,
आज मैं जो कुछ भी हूँ - फल है ,
जो गुरुओं ने सिर पर हाथ धरे ।
करती  हूँ  कोटि  नमन  उनको ,
जो   गुण - दुर्गुण   मेरे   परखे ,
उनको  भी  कोटि  नमन  मेरा ,
जो  अब  दुनिया  में  नहीं  रहे  ।

गुरू     कृपा    को   जग    में 
कैसे        कोई        भुलाएगा ;
दीन -हीन  नवजात  शिशु को 
कौन   उठा      घर     लाएगा ?
बिन  माँ - बाप  के  बच्चे  को 
चाणक्य  सिवा कौन पढ़ाएगा ?
कौन है  दूजा  जो चंद्रगुप्त को 
 राजा सा चमत्कार दिखलाएगा ?

गुरू  द्रोण  बड़े  बदनाम  हुए 
एकलव्य से अँगूठा दान लिए ;
अर्जुन  को  कोई टक्कर न दे 
कर्ण  का  भी अपमान  किए  ।
जिस  पर  गुरू  कृपा   होगी 
समझो  उसे  भगवान  मिला ;
गुरू    तुल्य   न    है    दूजा 
इतिहास से है यह ज्ञान मिला ।

प्रतिभा स्मृति 
दरभंगा (बिहार )

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