दिल के तार दिल से ,जोड़ दे प्रिये।
प्यार के है पत्र ,पत्र खोल दे प्रिये।।
यह जिंदगी तेरी मेरी आस की कहानी है।
चलो जरा हमें भी कहीं जिंदगी बितानी है।।
स्कूलों के दिन की बातें ,बातें बोल दे प्रिये।
प्यार के है पत्र ,पत्र खोल दे प्रिये।।
गुलाब सी चमकती ,तेरे होठों की लाली ।
तीर दिल में लगे हैं ,तूणीर अपना खाली।।
भीगती नसों में आज आमरस घोल दे प्रिये।।
प्यार के है पत्र ,पत्र खोल दे प्रिये
तुम न आओ तो मन नही लगता ,मेरा एक पल भी।
मैं तुम्हें याद करता हूँ हर क्षण ,आज भी ओर कल भी।
दिल की रिंगटोन से, दिल का वाइब्रेंट खोल दे प्रिये।
प्यार के है पत्र ,पत्र खोल दे प्रिये।।
सुरली आंखों से मेरे दिल को घायल करती हो।
सच - सच बताना तुम भी मुझ पे मरती हो।।
आ आशिकी की जंग तू भी छेड़ दे प्रिये।
प्यार के है पत्र ,पत्र खोल दे प्रिये।।
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(कोई भी पाठक चोरी न करें ,रचना का रजिस्ट्रेशन है)
2 टिप्पणियाँ
बहुत खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंक्या बात है कृष्णा जी.... बहुत ही सुंदर पंक्ति 👌 👌
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