सावन का महीना

शीर्षक :- सावन का महीना
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ये सावन का महीना 
ये चंचल जवानी ।
जा के शुरू करें कहीं 
अपनी प्रेम कहानी ।।

ये मन्द - मन्द मदमाती 
गगन में घनघोर घटाएं ।
दिल यूँ कहता है 
जाके बसाएं कहीं प्रेम नगर रांनी ।।

रिमझिम - रिमझिम सावन के बादल
बरसा रहे हैं पानी। 
मुस्कानों की आंधी में छुप जाओ
मेरी बाहों में आकर रांनी ।।

भीगी - पलकें ,भीगे - गेसू 
गोरे मुख से टपक रहा पानी ।
चिलमन से पलकें गिराके 
आहों की बाहों में आ जा रांनी ।।

चमक-चमक के बिजली चमके
गालों पे गिर निहारे गोरी को पानी ।
सावन की भीनी - भीनी ,-ठंडी- ठंडी हवाएं
अठखेलियां आँचल से करे रानी ।।

आंखों का काजल-होठों की लाली 
गिर के यूँ कह रहे ।
साजन से कह रहे सावन के बादल 
दिल की प्यास बुझा लो संग रानी ।।

सावन मे अब तो आग लगी
तन - बदन की आग बुझा दो रानी ।
ये दिन ये महीना तन - मन मे गुदगुदी करे
मौसम भी है मौका भी है ,क्या सोच रही हो रानी ।।

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रचनाकार :- मईनुदीन कोहरी " नाचीज बीकानेरी "
मोहल्ला कोहरियान , बीकानेर
राज्य :-राजस्थान मो -9680868028
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