चित चितवत

भोजपुरी कविता (श्रिंगार रस )- चित चितवत |
चंचल रूप चित चितवत निखरत निरखत नैन हारे |
बिजुरी सम चमकत दमकत हिय प्रिय चैन हमारे ||
लपकत डोलत झुकत कटी कोमल डोलत कमल डार |
पाँव रखत पायल छम छम छमकत बोलत हिय हाय || 
चपल पलक झपकत गिरत उठत बिजुरी गिरि जाय |
पडत नजर जिस ओर रखी हिय हाथ हाय चिल्लाय ||
गजरा महकत कजरा दहकत रोम रोम पुलकत जाय |
अधर धरत मुसकात मन मोहिनी कपोल हरसत हर्षाय ||
कमर कटिली कारी केस जस नागिन बलखत लहरात |
चाल चलत हिरनी वन कुलांचत उछलत देह भहरात || 
राग अलापत कोकिल बोलत गोरी कंठ सुरीली बोलत |
कांपत अधर रसीले धिरकत टप मिसरी मीठ घोलत ||
पवन वेग जब आंचर लहरत अवलोकत जीय सिहरत |
उड़त गिरत नभ डोलत कर कपाल धरी हिय अचरज || 
नख सीख उतरत स्वर्ग परी सम पिय पिय खोजत |
प्रेम रस घोलत जोहत कत तुम श्याम मुरली सोहत ||

श्याम कुँवर भारती (राजभर)
कवि /लेखक /गीतकार /समाजसेवी 
बोकारो झारखंड मोब -9955509286

Badlavmanch

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