भूमिहीन किसान

एक था भूमिहीन किसान उसके दो पुत्र थे एक का नाम मोहित था तथा दूसरा पुत्र का नाम अजय था।किसान दूसरे के खेत में काम करता था,जहाँ बगल में उसी मालिक के  बहुत सारे आम के पेड़ थे।किसान का दोनो बेटा पढ़ते नही थे क्योंकि किसान के पास पैसे नही था।एक दिन जून के महीने में दोपहर का समय था जब किसान के दोनों पुत्र मोहित व अजय अपने पिता के साथ खेत में मजदूरी करने के लिए जा रहे थे। किसान आगे आगे जल्दी में खेत पे पहुँच गया जबकि दोनो पुत्र धीरे धीरे पहुँच रहे थे तभी खेत पे पहुँचने पर किसान का छोटा बेटा अजय की नजर आम पे पड़ी। आम पका हुआ था डाली पे लगा हुआ था। वह अपने बड़े भाई अजय से बोला
भैया वह देखो ना कितना पका व बड़े बड़े आम लगा हुआ है पेड़ पे। मैं वह आम तोड़कर लेना चाहता हूँ। आप कुछ करो ना। दोनो भाई आम के पेड़ के पास पहुँचकर आम तोड़ने का प्रयत्न करने लगे तभी वहाँ बगीचे का आदमी आ गया। वह उनकी बात सुनकर चिल्लाया। ओ ओ अरे अरे वो बच्चा पार्टी क्या कर रहे हो आम तोड़ रहे हो तुमने बिना पूछे कैसे हिम्मत किया?मोहित ने जवाब दिया भोला किस्सन के बेटे है।
तो मालिक का गुस्सा कम हुआ। किन्तु उसने बोला देखों बच्चों मैं तुम्हे बिना कीमत के आम नही दे सकता क्योंकि हर चीज की एक कीमत होती है इसलिए तुम चले जाओ।
तभी बच्चा बोला सेठ जी मैं इसके बदले आपका एक काम कर सकता हूँ आम के पेड़ के जड़ में मिट्टी डाल कर कुछ छिड़क देते है आप बदले में आम दे दो। दोनो भाईयों  ने मिलकर उस आम के पेड़ों के जड़ में मिट्टी डाल कर उसमें खाद डाल दिया। दोनो के मेहनत व देखकर मालिक ने दोनो को 5kg  आम दे दिया। वास्तव में वो कीमत की बात से दोनो बच्चों को एक सीख मिली जिसका उन्होंने अपने जीवन को एक बेहतर मोड़ देने में पँहुचा में मददगार साबित हुआ। मालिक के कहने भर से किसान ने दोनों बच्चों को पढाया लिखाया जिससे बड़े होकर दोनों भाई में मोहित वकील बना व 
अजय अस.पी. बना। एकबार जब दोनों गाँव आये तो रास्ते से गुजरते हुए उन दोनों की उस बगीचे में बैठे बुजुर्ग पे पड़ी।
दोनो को बचपन की बात याद आई गई दोनों उस बुजुर्ग के समक्ष खड़े हो गए। उस बुजुर्ग लगा आखिर क्या बात है जो एक पुलिसकर्मी व वकील वहाँ खड़े है वह दोनो के लिए कुर्शी लेकर बैठने के लिये बोला किन्तु उन दोनों ने उस बुजुर्ग को पैर छूकर प्रणाम किया। बुजुर्ग चकित था बहुत किन्तु दोनो के परिचय देने पर वह बहुत खुश हुआ। उसने दोनो को आशीर्वाद दिया। बुजुर्ग ने दोनों को कहा कि वह उसी दिन समझ गया था कि दोनों होनहार है। दोंनो ने कहा कि जीवन में आगे बढ़ने की प्रेणना आप से ही मिली। यदि उस दिन आपने मुफ्त में आम दे दिया होता तो हमारे जीबन में बदलाव नही आता। दोनो ने पैर छूकर दुबारा आशीर्वाद लिया।
बुजुर्ग ने यही कहा की बेटे मुझे खुशी हुई कि तुम दोनों ने मेरे दिये सीख को जीवन का हिस्सा बनाया। मैं भगवान से यही विनती करता हु की ईस्वर तुम दोनों को और अच्छा स्थान दे।
यही विनती है भगवान से। दोनो मिलने के बाद खुशी से घर चले गए।

शिक्षा:  *हर चीज की अपनी कीमत होती है।
* हमें अच्छी बातों को जीवन अवश्य मनन करना चाहिए।

प्रकाश कुमार
मधुबनी,बिहार

Badlavmanch

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