आरज़ू

बदलाव मंच
   *आरज़ू*

खूबसूरत सी जिंदगी,लगती आशा है,
फिर रहते क्यों लोग यहां परेशा है।

आरजू थी चंद कदम साथ चलने की,
हमसफर, हमदम निकला वो नादा है।

बमुश्किल से जागी, एतबार की हदें,
क्यों कर लगा वो मेहरबा है।

दरिया दिल दिखा, मिटा दिये सारे निशा, 
अब वक्त हर वक्त लगता खफा है।

क्यों दौड़े उस मृग मरीचिका के पीछे, 
थोड़ा ठहर! सुकून मिलेगा हर दफा है।

मुकम्मल होंगे ख्वाब तेरे भी  
 ' माधवी '  
अब 'बदलाव मंच' ने किया ऐसा दावा है।

माधवी गणवीर
छत्तीसगढ़
Badlavmanch
madhaviganveer@Gmail.com

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