राखी
पापा जल्दी उठ जाना
तुमको बाजार है जाना
सो पचास राखी लेकर आना
क्या बात बेटा जरा समझाना
पापा राखी का त्यौहार
धूम धाम से है मनाना
सीमा पर जो पल पल पापा
लगा रहे जान की बाजी
इस बार तो बाँधुगी राखी
उनको मैं पिताजी
सीमा पर जाकर मनाऊँ
राखी का त्यौहार
माथे रोली तिलक लगाऊं
हाथों मै बाँधु राखी
हाथों से मिठाई खिलायू
खुश होंगे मेरे वीरा जी
मन ही मन मैं फक्र करूंगी
जब खुश होंगे मेरे वीरा जी
.पापा बाजार जाना
सौ पचास राखी ले आना
खुश होगया पापा बेटा
. सुनकर तेरे जज्बात
सीमा पर हम भी चलेंगे
मनाने राखी का त्यौहार
देश की खातिर पल पल
जो जीने मरने कॊ तय्यार
वो ही तो सच है बेटा
इस राखी के हकदार
राखी संग मीठाई ले चलेंगे
और सेवई पूरी और खीर
संग मिलकर खाएंगे देश के वीर
खुल जाएगी अपनी तक़दीर
बेटा चलेंगे सीमा पर
राखी का त्यौहार मनाने
पापा खुश होजाए मेरे वीरा
मुझको अपनी बहन बनाकर
मैं भी गर्व करूँगी पापा
सीमा पर त्यौहार मनाकर
" लक्ष्य" हम भी सलाम करेगे
इस बार सीमा पर जाकर
निर्दोष लक्ष्य जैन
धनबाद झारखंड
६२०१६९८०९६
८।७।२०२०
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