भारत के नौजवान माँ भारती कर रही पुकार तुम

भारत के नौजवान 
माँ भारती कर रही पुकार तुम
चौतरफा खड़ी चुनौती की आग तुम।।

जीना है तो लड़ना सीखो
कदम कदम है खतरे 
त्यागो आपस के बैर भाव
युवा तेज हो युवा ओज तुम
बनाना है तुमको अंगार
 देश की माटी के ललकार तुम
भारत के नौजवान तुम।।

हिम्मत की हस्ती तुम
ताकत की मस्ती तुम
शहीद की वेवा की सुनी
मांग भारत के नौजावन के
अस्तित्व पर प्रहार 
सरहद पर जान गवांते
शहीद की अंतिम इच्छा
राष्ट्र के गौरव अस्मत की
खातिर अग्नि परीक्षा में
सदैव तैयार तुम।।

साँसों की गर्मी से तेरे
चाहे जो भी हो दुश्मन
जाएगा हार
वर्तमान तुम ,
भविष्य निर्धारक तुम
गौरव शाली अतीत के हो तुम
कर्णधार भारत के नौजवान तुम।।

जीना है तो उद्देश्यों के पथ
पर द्रढ़ता से चलना सीखो 
तूफानों से लड़ना सीखो
खुद की मर्यादा को अक्षुण रखना सीखो
माँ भारती की तुम संतान भारत
के नौजवान तुम।।

डिगा सके तुमको तेरे पथ से
कोई भी समर्थ सक्षम नहीं
अडिग चट्टान तुम् भारत के
नौजवान तुम।।

दीपक की लौ तुम
प्रज्वलित मशाल मिशाल
शौर्य सूर्य तुम बदलते काल
की चाल भारत के नौजवान
तुम।।

गीदड़ कैसे हो सकते 
बाज़ पंख परवाज़ तुम
हुंकार से डोले जमीं आसमान
तेरे कदमों की आहट दुनियां में
तेरी मकसद मंजिल की आवाज तुम भारत के नौजवान तुम।।

गर्जना से तेरी निकले छद्म धोखे
का प्राण
नौजवान तुम कर्णधार तुम
समय काल के आधार तुम
निति नियत निर्माण तुम 
भारत के नौजवान तुम।।

साहस के सिंघनाद तुम
गौरव शैली राष्ट्र के विजयी विजेता पाँचजनन्य का  शंख नाद
तुम संग्रामों के विकट विकराल
तुम भारत के नौजवान तुम।।

युग बैभव दृष्ट्री सक्षम समर्थ
तेर हद हस्ती की दुनियां
पराक्रम पुरषार्थ तुम जो चाहो
लिख दो इबारत वक्त के
हताक्षर तुम भारत के नौजवान तुम।।

शोला शूल तीर तलवार त्रिशूल तुम मझदार तुम पतवार तुम
कश्ती और किनारा तुम
सुबह शाम दिन रात युग वक्त
व्यवहार तुम।।

पीछे कभी देखा ही नहीं
आगे बढ़ते रहना शिखर
का नाज़ तुम हौसलों की
उड़ान तुम भारत के नौजवान तुम।।

आँख दिखाए कोई करते नहीं
स्वीकार तुम ऊर्जा उतसाह तुम
उमंग उल्लास तुम जग के अंधेरों
को चीरते दुनिया का नव प्रकाश 
तुम  भातस्त नौजवान तुम।

नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

Badlavmanch

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ