जाति-धर्म,सरहद-मजहब से बढ़कर,क्या तेरा कोई ईमान नहीं?
क्या समझते हो तुम कि इस धरती पर,कोई अवतारी भगवान नहीं?
क्यों करते हो हरदम तुम खून - खराबा,आखिर क्या मिलता है?
तुमको मिटा नहीं सकता कोई,ऐसा तुझको मिला कभी कोई वरदान नहीं?
पठान कोट,पुलवामा जैसे,हमले करके क्या चाहते हो तुम जतलाना?
तुम ही महाशक्ति हो,यही सिद्ध कर चाहते हो जग को बतलाना।
लेकिन, तुम ये भूल बैठे हो कि ये भारत ,विश्वगुरु, विश्व भारती है,
शायद, अब जरूरत पड़ गई है,
तुझको,तेरी असली औकात दिखलाना।
परमाणु बम की धमकी देकर,
नापाक इरादे लेकर तुम किसे डराते हो।
सबको सब पता है,तुम कुछ भी नहीं हो ,केवल थोथा गाल बजाते हो,
अब भी मौका है तुझको, बाज आओ अपनी घिनोनी हरकत से,
खुद अपने जमीर से पूछो तुम,
इस मिट्टी से तेरे कैसे क्या नाते हैं?
तेरी इस गीदड़भभकी से ,नहीं अब हम डरने वाले हैं,
यहाँ पर नर-नारी तक,तिरंगे पर मिटने वाले हैं।
यही मशविरा आखिरी है,
कि तुम अब सुधर जाओ,
तेरी चिता पर तुझे जलाएंगे,
नहीं माफ अब करने वाले हैं।
ज्यादा बकबक करोगे,
तो मिटा देंगे तेरी पहचान
न रहेगा तेरा भूगोल ,
और न रहेगा तेरा कोई विज्ञान।
लगता है कि तुम ,
इस तरह बिल्कुल नहीं मानोगे,
विनाश करना ही होगा ,
अब तेरा भविष्य और वर्तमान।।
लगता है तुम सिर्फ ,
लड़ने का शौक पाले हो।
अग़र, युद्ध ही करना है,
तो यह भी याद रखना।
कि तुम मुझसे कभी ,
पार नहीं पाओगे,
इस बार भी कारगिल के जैसे ही
मुँहकी ही खाओगे।
तेरे हर सवालों का ,
देना आता है जवाब,
दहकते आग का दरिया हूँ,
जिसे तुम छूते ही जल जाओगे।
क्योंकि, दहकते अंगारों का ,
दूजा नाम है "हिन्दुस्तान"।
अब वो क्षमाशील नहीं ,
आर्यावर्त!
अब बन गया है ,
ये नया "हिन्दुस्तान"।।
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** एकता कुमारी * *
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