देखो भई होती क्या ज़िन्दगी।सफर पर अब हम चलते हैं।।



देखो भई होती क्या ज़िन्दगी।
सफर पर अब हम चलते हैं।।

गिरकर उठना,उठकर गिरना है,ये नाम ज़िंदगी।
गरीबों में भी मुस्कान कमी अनुभव न हो,वो भई ज़िन्दगी।।
संघर्ष जीवन भर चलता है,वो है,ज़िंदगी।
निरंतर आगे बढ़ते जाना है,ये ज़िंदगी।।
एक-दूसरे का साथ निभाना है,ये ज़िंदगी।
हर-दम अपने लक्ष्य को पाना है,ये ज़िंदगी।।

देखो भई...
सफर पर...

इस सफर ने मुझको छोड़ा है,ये ज़िंदगी।
किसी ने मेरे मन को तोड़ा है,ये ज़िंदगी।।
अच्छे कर्म करते जाओ,यही कहती है,ज़िंदगी।
तेरा-मेरा मन में न पालो यही है,ज़िंदगी।।
सब-कुछ तेरा यहीं रह जाएगा,यही कहती है,ज़िंदगी।
तो नष्ट क्यों करता जाता है,तू तेरी ज़िंदगी।।

देखो भई...
सफर पर...

दो मीठे बोल आपस में बोलो यही कहती है,ज़िंदगी।
दुःख-सुख का तो आना-जाना,यही होती है,ज़िंदगी।।
मैं,मेरा,अहम को छोड़ो,यही कहती है,ज़िंदगी।
दूसरों का उपकार करो यही कहती है,ज़िंदगी।।

आज स्वस्थ समाज का संकल्प,तुम ले लो यही कहती ज़िंदगी।

देखो भई...
सफर पर...

नाम-रूपा व्यास
पता-'अणु नगरी',रावतभाटा, जिला-चित्तौड़गढ़(राजस्थान)
व्हाट्सएप न.-9461287867
ईमेल-
 
                -धन्यवाद-
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*नमन 'बदलाव मंच'*
*दिनांक-12-07-20*
*लिखित सह वीडियो प्रतियोगिता हेतू*
*विषय-ज़िंदगी*
           (कविता)

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