मन करता मैं मौज मनाऊं

"मन करता मैं मौज मनाऊं"

सीली सीली बहे बयार,
मन्द मन्द पड़ रही फुहार,
मन करता मैं मौज मनाऊ,
जी में जाग रहा है प्यार।

बागों में खिली है कलियां,
रोशन हो गई दिल की गलियां,
मन करता मैं मौज मनाऊं,
अब तो आ भी जाओ छलिया।

खूब घिरी घनघोर घटाएं,
मोर पपीहे कोयलिया गाएं,
मन करता मैं मौज मनाऊं,
साजन मुझको अंग लगाए।

मैं झूलों में झूलू नाचूँ गाऊं,
आज सनम पर बलि बलि जाऊ
मन करता मैं मौज मनाऊं
साजन के प्रेम में खूब नहाऊं।

      -भूपसिंह 'भारती', 
आदर्श नगर नारनौल।

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