गुरु पूर्णिमा

हमारी यह रचना गुरू पूर्णिमा पर 
शीर्षक     "वेद व्यास के जन्म दिवस पर "
गुरु की महिमा का वर्णन कर,वेद व्यास के जन्म दिवस पर ।
सच्ची श्रद्धांजलि हम देते, महारचयिता के ग्रंथों पर।
वेव रचयिता मुनिवर की तो, महिमा अपरम्पार ।
सृजन किया महाभारत का, ग्रंथ ग्यान का द्वार ।
उपदेश कृष्ण का अर्जुन को, जिसको हम कहते गीता ग्यान ।
वह दिव्य ग्यान अब तक प्रासंगिक, हम सब करते हैं अभिमान ।
स्थापित हो धर्म देश में, ईश्वर ने अवतार लिया ।
जितने भी निसिचर, पापी थे, उनका फिर संहार किया ।
दिव्य ग्यान से कर आलोकित, अर्जुन के फिर बने सारथी ।
नहीं लालसा थी बनने की, युद्ध क्षेत्र का महारथी ।
सच्चा गुरु तो ग्यान स्रोत है, हरता भ्रम का अंधकार ।
बने सारथी दुख दरिया में, कर देता संकट से पार ।
कृपा दृष्टि जब गुरु की होती, ग्यान दीप जल जाता है ।
दूर अंधेरा भ्रम का होता, सच्चा सुख मानव पाता है ।
करें प्रदर्शित मार्ग सत्य का, सदा अधर्मी का हो नाश ।
काम, क्रोध, मद,लोभ तिरोहित, सफल हुआ गुरु का प्रयास ।
नमन सभी दिल से करते हैं, गुरु को आज पूर्णिमा पर ।
अभिनंदन है आज आपका, दया आपकी रहे सभी पर ।
स्वरचित 
डा अजीत कुमार सिंह झूसी प्रयागराज मोबाइल नं 
8765430655

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