रटकर नही सीखना है।

बदलाव मंच
17/7/2020

रटकर नही सीखना है।

रटकर नही सीखकर बढ़ना है।
अब स्वयं को हमें अपने शर्तों पे
गढ़ना है।।

सूरज के गर्मी से कैसे कपड़े सुख जाते है।
आखिर हर दिन कैसे काम करने से थक जाते है।।

चाँद रात में ही क्यों नजर आता है।
दिन में कैसे छिप जाता है।।

बच्चे बड़े होकर क्यो हँसना क्यों 
भूल जाते है।
स्कूल से निकलकर बदलाव की 
बात क्यों भूल जाते है।।

आसमान का रंग नीला क्यों है।
कल तक का महल आज किला क्यों है।।

पँछी दो पँख से कैसे उड़ पाते है।
बूढ़े में हम सही से क्यों नही देख पाते है।।

एक साधारण बच्चा कैसे कलाम बना।
कल्पना के कर्म से कैसे भारत को
 विस्व में बेहतर सम्मान मिला।।

यही सब तो हमें करके दिखाना है।
कैसे बीज विशाल बृक्ष बन जाता है।।

 ये सब ठीक ठीक हमे जानना है हमें।
किन्तु खोजकर सीखकर स्वयं पहचानना है हमें।।
.

 आओ रटकर नही खोजकर सीखे।
अपने ज्ञान को सोच समझकर सींचे।।

अब तो अपने दम पे कर दिखाए हम।
अपने जिंदगी को बेहतर उम्दा बनाये हम।।


©प्रकाश कुमार
मधुबनी,बिहार
9560205841

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ