अभी कुछ दिन पहले ही वह गाँव से शहर आया था ।

शीर्षक -अनमोल खुशी

अभी कुछ दिन पहले ही
वह गाँव से शहर आया था ।
शिक्षा की अच्छी तालीम मिले ,
ख्वाब सलोना सजाया था ।।

पढ़ लिखकर बड़ा नाम मैं करूंगा ,
चिकित्सक बन गाँव वापस जाऊंगा ।
एक दिन कक्षा से लौट रहा था वह ,
देखा एक लड़की को छेड़ रहे थे लोग ।।

अकेली थी ,वह सहमी थी वह ,
रात अंधेरी थी क्या करूँ सोच रहा वह ।
सुनसान रास्ता था मंजिल थी कठिन ,
कैसे कर्तव्य भूल करूँगा खुद पर यकीन ।।

वह कोने में छुपा पुलिस की सायरन
की आवाज निकालने लगा ।
गाँव में या विद्या सीखी थी ,
सोचा आज आजमाँ लूँ जरा ।।

सायरन की आवाज सुन
वे उचक्के दौड़ के भागे थे ।
लड़की बाल बाल बची थी ,
दुआ में हाथ उसकी उठी थी ।।

वह धीरे से बाहर आया ,
कहा बहन मैंने ही सायरन बजाया ।
लड़की हाथ जोड़कर खड़ी थी,
आँखों से खूब शुक्रिया देती थी।।

कहा उसने गाँव में पिताजी हमारे,
नाटक मंडली चलाते हैं ।
जानवर -पक्षी सब की ,
आवाज कंठ से  निकालते हैं ।।

वही विद्या मानवता हित
मैं आज लगाया ।
तेरी आबरू बचाकर ,
सबसे अनमोल खुशी पाया।।

अंशु प्रिया अग्रवाल
मस्कट ओमान
स्वरचित
मौलिक अधिकार सुरक्षित

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