एक बदलाव

एक बदलाव

हमनें रीत निभाई कई युगों से,
रुढियों और परंपराओं के नाम पर!
अंध-विश्वास और रूढ़ियों को मिटा,
एक नया अभिर्भाव करना ही होगा!
 अस्तित्व जगा अपनी एक नई पहचान ,
 बना अपना भी मान बढ़ाना ही होगा!
सृजन सृष्टि की नारी एक जीवित प्राणी,
     नया रूप  नारी का दिखाना ही होगा!
           अपनी महता बतलायेंगे कुछ कर के,
            सपना अपना भी नया सजाना होगा!
          हम देवी नही किसी मंदिर की मूरत सी,
   अपना सम्पूर्ण कर्तव्य हमे निभाना होगा!
  अपने ज्वलंत और नवीन विचारों के द्वारा,
     सबकों हमें अपना भी क्षेत्र बताना होगा!
          एक आशा की नई किरण ले अपनें,
         अपनें मन का स्वाभिमान जगाना होगा!
       हमें भी हक है अपनी आकांक्षाओ का ,
   हमें दुनियाँ को भी समझाना होगा!
   जीवन मे हम भी नव-निर्माण करेंगे,
   हम भी मनुज है इस  वसुंधरा के!
     दृढ़  इच्छा का विश्वास दिलाना ही होगा
     एक नया अध्याय लिखकर जीवन में,
     इस धरा से हमें भेद  मिटाना ही होगा!
 अपनें मुक्त विचारों से सम्पूर्ण -क्रांति,
जीवन मे हमको लाना ही होगा!
    अपनें सुन्दर भाव जगा एक नया,
        पृष्ठ जीवन का हमें अब लिखना होगा!
            अंतर्मन को अपनें एक नया मोड़ देना होगा,
                 अपने जीवन मे  नया बदलाव लाना होगा!
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💐समाप्त💐
लेखिका:-शशिलता पाण्डेय
स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित                   

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