ख्वाहिश

जो हुआ नहीं इतिहासों में  वो  कर के अब दिखाना चाहते  हैं।
कुछ लोग ऐसे भी हैं, दौलत नहीं सिर्फ नाम कमाना चाहते हैं।

खुदगर्जी इस कदर भरी है आज  कल के कुछ लोगों में यारो ।
कि खुद को ही सिर्फ ये लोग ज़माने में आगे बढ़ाना चाहते हैं ।

हमारे इस दिल की मुद्दतो से इक ही ख्वाइश रही आज तलक।
हम जहाँ से नफरतों,गमों को  सदा के लिए मिटाना चाहते हैं ।


-कवि संजय कुमार विश्वास 
तिसरी ,गिरिडीह ,झारखंड

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1 टिप्पणियाँ

  1. बड़े ही उच्च विचार। हम जहाँ से ग़मों नफरतों को मिटाना चाहते है। क्या बात है।

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