कच्चे धागे का रिश्ता अबोध बचपन के मन बोध पता नहीं चलता भावों की रेशम डोरबहन भाई का रिश्ता।।

कच्चे धागे का रिश्ता 
अबोध बचपन के मन 
बोध पता नहीं चलता 
भावों की  रेशम डोर
बहन भाई का रिश्ता।।

बहन छोटी हो या हो बड़ी
बचपन की शरारतों
का हिस्सा किस्सा आहिस्ता
आहिस्ता पलता बढ़ता भाई
बहन का रिश्ता।।

एक कोख की बोध हो
या मुँहबोली बहना गहना बहना
जीवन में रिश्तों की मर्यादा
महिमा।।

हर समय मांगती है
कभी भाई के कलाई में
कच्चे धागों से भाई के
अक्षय अक्षुण का
जीवन ईश्वर से या मांगती 
राखी की सौगात भाई से।।

एक दिन ऐसा भी आता
सारी यादों बंधन के छोड़
बाबुल के घर से विदा मागती
भाई की आँखों से बहते आंसू
की शबनम की बूंदों का बहन
भाई का रिश्ता।।

राम रावण के युद्ध के कितने
ही ग्रन्थ दुनियां ने रच डाले
रावण का बहना इज़्ज़त की  सर्वश्व  कर दिया त्याग बलिदान।।

भाई बहन के रिश्ते की मर्यादा
का एक मिशाल कभी किसी ज्ञानी
मुर्द्वन्व ने कदाचित नहीं लिया सज्ञान।।

चाहे कहे  दुनियां जितना
रावण को अधर्मी पापी
बहन की अस्मत में सोने
की लंका एक लख पूत
सवा लख नाती स्वयं
की बलि चढ़ा दी।।

क्या है क़ोई भाई बहन
के रिश्तों के मर्म धर्म
का विश्व में इससे बड़ा
मशाल।।

एक भाई जय चन्द भी
बहन की चाहत के विरुद्ध
विगुल बजाया कलयुग
में बिभीषन का ही अवतार।।

वर्तमान की कालिख का
भाई जय चन्द काला अध्याय।।


समय की गति रिश्तों
समाज में भाई बहन का
रिश्ता लाज नाज़ अस्मत
अस्तित्व के समाज का नाता
रिश्ता नाता।।

भाई बहन के प्यार परिवरिश 
 परिवेश आर्या वर्त भारत के
समाज अहंग अभिमान 
शान ।।                                

भाई का मान बहन है
भाई का स्वाभिमान बहन है
भाई के भावों का अभिमान 
बहन है।।

भाई के गर्व गरिमा की
महिमा बहन है।
भाई का ईमान ईनाम
बहन है।।

जमी आसमान सूरज चाँद
पल प्रहार दिन रात नित्य
निरंतर प्रभा प्रवाह का भाई
बहन का प्यार रिश्ता व्यवहार।।

देवता दानव मानव सभी के
लिये बहन प्राण की प्रतिष्ठा
जीवन समाज में सदाचार 
अस्तित्व का हिस्सा भाई बहन
का रिश्ता।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

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