हंस कर विदा कर दिया लाल को माँ रोई तक नही,,
जिसके लिए दुआ की कई कई रातें सोई तक नही,,
भेज दिया सीमा पर जिगर का टुकड़ा एक पल में,,
जिसके पास उसके बेटे के अलावा कोई तक नही,,
खुद से ज्यादा हिम्मत भर कर तैयार किया लाल को,,
बेटे की सांसों में कायरता माँ ने कभी पिरोई तक नही,,
फक्र करती है माँ अपने सपूत पर भेज कर सीमा पर,,
हिंदुस्तानी माँ बेटे के मोह में कमजोर होई तक नही,,
लहू से लिखते आये है हिन्द के बेटे शौर्यगाथा सचिन,,
लाज कभी देश की पानी में सैनिकों ने डुबोई तक नही,,
© सचिन गोयल
सोनीपत (हरियाणा)
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*🇮🇳मेरी स्वरचित🍃🍂 मौलिक रचना🇮🇳*
Badlavmanch
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