कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा 'अकेली माँ की डायरी' विषय पर रचना

🌷अकेली माँ की डायरी🌷
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अकेली माँ कभी नही होती ,
   माँ तो पूरी होती है ।
     माँ के संग-संग ममता होती,
        बिन ममता, माँ अधूरी है।
  माँ की शक्ति, ममता होती,
    ममता ही, माँ की धुरी है ।
         एक बच्चे के खातिर माँ का,
            प्यार बहुत जरूरी है।
     बच्चे होते, माँ का दर्पण,
        सब-कुछ करती, उसपर अर्पण।
          बच्चें होते माँ का अभिमान,
            बिना नही उसकी पहचान।
   दुनियाँ की सब दौलत झूठी,
      माँ के बिना नही है ज्ञान।
        माँ ही, दिलवाती दुनियाँ में,
          अपने बच्चों को सम्मान ।
एक अच्छी माँ काफी है,
    अपने बच्चों की पहचान।
        इस धरती पर बच्चों की,
          एक माँ ही होती भगवान।
  माँ बच्चों की होती है जान,
     करती न्योछावर सारे अरमान।
         अपनी आँखों की नींदे भी,
             माँ बच्चों को दे देती  है।
     जुदा हो जाये बच्चे तो,
        माँ चुपके-चुपके रोती है।
            अपनी संतान, की रक्षा में,
              माँ  दुर्गा काली, भी बनती है।
     होती नही माँ- बच्चों में
         कभी भी दिल से दूरी है।
            अकेली माँ की डायरी,
                अब तो हो गई पूरी है।
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स्वरचित और मौलिक
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका:-शशिलता पाण्डेय                       

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