श्रीगणेश चतुर्थी २२/०८/२०२० पर
🌾प्रभु गणपति से 🌾
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अर्चन वंदन करुं स्तुति ,श्रीगणपति भगवान।
सेवा सिध्द सुमंगलम ,देहु दया गुणगान।।
मानव धर्म सुकर्म रत ,चलूँ भोर की ओर।
गिरिजा-पुत्र गरिमामय ,करहु कृपा की कोर।।
नाशक तम अरु विघ्न के ,देहु सरस आलोक।
भूल भरम मम मेट कर ,सदा निवारहु शोक।।
प्रथम विनायक पूज्य हैं ,देवन में अगुआन।
देहु दया कर दरस हरि ,शुभदा सजग महान।।
लोभ मोह का कीजिए ,हे लम्बोदर नाश ।
देश प्रेम सु-ओत प्रोत ,बढे़ प्रेम विश्वास।।
हे गणनायक गजानन , गणपति गूढ गणेश।
उर के मध्य विराजिए , देहु दिव्य संदेश ।।
काव्य कला सुचि कौशलम् , मिले हर्ष उत्थान।
जन जीवन जग जीव का,जिससे हो कल्याण।।
कृपा सिन्धु यश-खान हो ,सत्य शान्ति सुखधाम।
भक्ति शक्ति की चाह है , धुर "कवि बाबूराम"।।
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बाबूराम सिंह कवि
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर
गोपालगंज (बिहार)८४१५०८
मो०नं०- ९५७२१०५०३२
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾*************************1पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार।परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।।होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण,यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।*************************2गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल।इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।।जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना,निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना।कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा,करती भव से पार, सदा ही सबको गंगा।*************************3जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार।है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।।सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में,वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में।कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग,निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग।*************************बाबूराम सिंह कविग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा)जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032*************************मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित।हरि स्मरण।*************************
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