श्री राम बिना मेरा जीवन ही अधूरा है

श्री राम बिना मेरा जीवन ही अधूरा है
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श्री राम बिना मेरा , जीवन ही अधूरा है !
प्रभु राम बिना मेरा ,जीवन ही
अधूरा है ।।
यूँ आस लगा बैठी ,
कब से तेरी दासी है ।
स्वामी कब आओगे ,
चहेरे पे उदासी है ।।
साजन बिन सजनी का ,
शृंगार अधूरा है ----
श्री राम बिना मेरा ----
ये ताल तलैया भी ,
मिलतें हैं नदियों से ।
होता आया जग में ,
निस्तारण सदियों से । ।
सागर बिन नदियों का ,
सार अधूरा है ------
श्री राम बिना मेरा -------
करुणा के सागर तुम ,
मेरी दुनियाँ में  आ जाओ ।
चरण कमल अपने ,
एक बार इधर लाओ ।।
तपसिन बैठी बन में ,
संसार अधूरा है ----
श्री राम बिना मेरा ,
जीवन ही अधूरा है ।।
डॉ अनुज कुमार चौहान "अनुज"
अलीगढ़ (उत्तर प्रदेश)

Badlavmanch

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