बदलाव मंच
11/8/2020
स्वरचित कविता।
भारत को आजाद कराये।
आओ ना मिलकर आजाद कराये।
फिरसे भारत को आजाद कराये।।
क्यों ना हम सभ भी मिलजुल कर।
फिरसे देशभक्ति की अलख जगाये।।
कही देखो कैसे दम तोड़ते हमारे अपने
भूख की आग को शांत करने को रोते है।
कही जानबूझकर खाना को बर्बाद करके
फिरभी अपने घर में चैन से सोते है।।
समाज की इस दूरी को मिलकर मिटाये।
आओ ना उन आलसी को नींद से जगाये।।
कही कई बच्चे हाथ में प्लास्टिक की
थैला लेकर कूड़े उठाने डोल रहे है।।
कही कई पैसे वाले बैठ जुआ खेल रहे है।।
इस धरा को फिरसे मिलकर स्वर्ग बनाये।।
आओ अपने मन में नव विस्वास जगाये।।
नव उमंग जगाकर कुछ बेहतर कर जाए।
गरीब मजदूर में भी आगे बढ़ने की ललक जगाये।।
कही ना बेरोजगारी हो ना कोई बेरोजगार हो।
हर घर में खुशहाली हो ना कि किसी का दुत्कार हो।।
सभी नदियों को आपस में जोड़े पानी को बचाये।
सभी राज्य को बाढ़ मुक्त करें सूखा से भी बचाये।।
घर घर में भक्ति भाव की आओ बहार लेकर आये।
देश चाहता है बदलाव आओ मिल परिवर्तन ला दे।।
घोर निराशा के बादल में फँसी हुई है जो धरती।
इसके बंधन को तोड़ आशा की ज्योत जगा दे।।
हर तरफ घरयाली हो सभी के मुख पे मुस्कान हो।
बच्चा बच्चा देश के लिए सोचे सभी में ऐसा ज्ञान हो।।
मैं मैं से होगा ह्रास जग में क्यों हम शब्द अपनाये।
नई तरंगों के सहारे आसमां में आओ छा जाये।।
©प्रकाश कुमार
मधुबनी, बिहार
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