करुणा कर भगवान कृष्ण


दिनांक 11/ 08 /2020 कृष्ण-
जन्माष्टमी के शुभ अवशर पर
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🌾करुणा कर भगवान कृष्ण🌾
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अष्टम देवकी का लाल काल कंस तेरा है ,
नभ वाणी सुन क्रोध भड़का शैतान का।
कैद कारागार किया वासुदेव देवकी को,
स्वार्थ में समाया लोभ मोह हुआ जान का।

नचरांदाज किया निती नियम प्रीति रीति ,
डंका बजाया निज शान और तूफान का ।
अवनी माँ आकुल व्याकुल सब लोग भये ,
ध्वज  फहराने लगा  पापी अभिमान का।

जन कल्याण का विकास आश फाँस असुर,
बन  गया  द्रोही  प्रभुनाम  रसपान का ।
कौतुकी कलुष मनहुश छल कपटी  कंस ,
किया अपमान भक्त भक्ति भगवान  का।

त्राही !त्राही ! त्राससे त्रिलोक सारा गूंज उठा,
हुआ  प्रादुर्भाव  सत्य  भक्ति महान  का ।
भादो कृष्ण अष्टमी को मध्यरात जेल बिच,
देवकी  निमीत  जन्म  कृष्ण भगवान  का।

सुर  धेनु  भुसुर भव -बाधा  विकट टाल ,
जाल काटी काल भयो कंसा के जान का।
राक्षस संहार करी भक्तों  का उध्दार प्रभु ,
सत्य चमत्कार कियो धर्म  के उत्थान का।

सत्यमेव जयते  जय -जय ब्रह्मांड भयो ,
रख लियो लाज हरि सत्य धर्म आन का।
सुर  नर  मुनी  धर्म हेतु "कवि बाबूराम "
करुणा कर जन्म हुआ कृष्ण भगवान का।

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बाबूराम सिंह कवि 
बड़का खुटहाँ , विजयीपुर 
गोपालगंज ( बिहार )
मो0नं0 - 9572105032
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On Sun, Jun 14, 2020, 2:30 PM Baburam Bhagat <baburambhagat1604@gmail.com> wrote:
🌾कुण्डलियाँ 🌾
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                     1
पौधारोपण कीजिए, सब मिल हो तैयार। 
परदूषित पर्यावरण, होगा तभी सुधार।। 
होगा तभी सुधार, सुखी जन जीवन होगा ,
सुखमय हो संसार, प्यार संजीवन होगा ।
कहँ "बाबू कविराय "सरस उगे तरु कोपण, 
यथाशीघ्र जुट जायँ, करो सब पौधारोपण।
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                      2
गंगा, यमुना, सरस्वती, साफ रखें हर हाल। 
इनकी महिमा की कहीं, जग में नहीं मिसाल।। 
जग में नहीं मिसाल, ख्याल जन -जन ही रखना, 
निर्मल रखो सदैव, सु -फल सेवा का चखना। 
कहँ "बाबू कविराय "बिना सेवा नर नंगा, 
करती भव से पार, सदा ही सबको  गंगा। 
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                       3
जग जीवन का है सदा, सत्य स्वच्छता सार। 
है अनुपम धन -अन्न का, सेवा दान अधार।। 
सेवा दान अधार, अजब गुणकारी जग में, 
वाणी बुध्दि विचार, शुध्द कर जीवन मग में। 
कहँ "बाबू कविराय "सुपथ पर हो मानव लग, 
निर्मल हो जलवायु, लगेगा अपना ही जग। 

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बाबूराम सिंह कवि 
ग्राम -बड़का खुटहाँ, पोस्ट -विजयीपुर (भरपुरवा) 
जिला -गोपालगंज (बिहार) पिन -841508 मो0नं0-9572105032
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मै बाबूराम सिंह कवि यह प्रमाणित करता हूँ कि यह रचना मौलिक व स्वरचित है। प्रतियोगिता में सम्मीलार्थ प्रेषित। 
          हरि स्मरण। 
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