प्रसिद्ध कवयित्री गीता पांडेय जी द्वारा रचित 'प्रेम' विषय पर रचना

साप्ताहिक प्रतियोगिता 
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दिनांक-23/08/2020
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दिन-रविवार 
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विधा-कविता 
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विषय-प्रेम का जीवन में महत्व
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प्रस्तुतकर्ता-गीता पाण्डेय(उपप्रधानाचार्य)
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प्रकृति-स्वरचित
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 *❤️प्रेम का जीवन में महत्व❤️*


प्रेम का जीवन में है बहुत ही महत्व।
संसार में इसका, सबसे बड़ा घनत्व।
प्रेम से, प्रभु  भी, हो जाते है विह्वल।
भक्त जो रखते,  प्रभु को अंतःस्थल।

प्यार  व घृणा  में, सदा ही हुआ जंग।
घृणा हारा ,प्रेम हुआ, विजित के संग
प्यार है इस संसार में एक ऐसी बूटी।
घृणा जैसी तंद्रा इससे ही जाके टूटी।

प्रेम शक्ति से, अंतर्मन होता है साफ। 
इस शक्ति से गुनाहगार होता है माफ।
प्रेम है, संसार की, वह जीवनी शक्ति।
जिससे भगवान में लोग करते भक्ति।

प्रेम गुरु-शिष्य के, मध्य की वह डोरी।
ज्ञान प्राप्त कर,शिष्य करता हथजोरी।
माॅ के ऑचल में भी प्रेम ले किलकारी।
पिता के स्नेह में , पुत्र होता अधिकारी।

भाई-भाई के प्रेम को कहते है बंधुत्व।
जो राम-लक्ष्मण का बनाया अस्तित्व।
प्रेमी-प्रेमिका में, जो हो जाता है प्यार।
जो जीने-मरने का कसम खाते है यार।

मीराबाई भी बाॅधी थी प्यार की डोर।
राधा भी प्यार करती थी,माखनचोर। 
मुरलीधर,इनके प्रेम के तो थे दिवाने।
गोपियों के घर जाते, प्यार के बहाने।

प्यार से ही हाॅके थे वे ,अर्जुन के रथ।
गोपियों का खाते माखन, बिना मथ।
मुरली से निकलती प्यार की ही धुन।
दौड़े-दौड़े गायें आती थी , दोनों जुन।

प्यार से, दिखाये कान्हा , बाललीला।
प्रेम से ही गोप,गोपी का साथ मिला।
गोवर्धन पहाड़ को , कर लिये धारण।
उसका भी था, प्यार ही, मूल कारण।

मैं भी, अपने श्रीकृष्ण की, बनूॅ राधा।
भरपूर प्यार दूॅ,चाहे आये कोई बाधा।
मुझे अपने, श्रीकृष्ण का ही, रहे संग। 
गीता का उनसे प्यार कभी न हो भंग।

स्वरचित कविता 
गीता पाण्डेय (उपप्रधानाचार्य)
रायबरेली, उत्तर प्रदेश

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