बीते वक्त की जमीन पर

बीते वक्त की जमीन पर उसके नाम का 
एक छोटा-सा पौधा रोपकर
उसने गुनाह का पहला पन्ना 
लिख लिया था।
हालातों की तेज आंधी में
गड्मड हुए सब पन्ने
जब रास्ते भटक कर रह जायेगे 
रेगिस्तानी रेतीले टीलों पर
सर पटक पटककर ढह जाएंगे
तब तक उम्र सरक सरककर
बहुत आगे बढ़ चुकी होगी
और गड्मड हुए पन्नो की टोली
शान्त हो कर पसर चुकी होगी
तब किसी भरी अदालत में
कोई जज अपनी खास अंदाज में
किसी गरीब बेकसूर को
फांसी की सजा सुना रहा होगा ।।
और झूठे गवाहों का 
जिरह बखतर पहन कर
वो गुनाहगार बा इज्जत बरी होकर
 अदालत से बाहर जा रहा होगा।।


जयन्तीसेन
09.06.20

Badlavmanch

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