कवयित्री शशिलता पाण्डेय जी द्वारा 'लाडो' विषय पर रचना

💐ना आना इस मेरी लाडो,,,,,,💐

छूट गए वो भी दिन पीछे,
      अब तो कोई ये ना कहना!
           हर भइया-राजा भी चाहे ,
                 "मेरी भी हो एक बहना"!
                     ना आना इस देश मेरी लाड़ो,....
फिर अब नही कहना होगा!
     सारी सृष्टि का सृजन तुम्हीं हो,
         अभिर्भाव हो इस भू-मंडल का!
               सारी प्रकृति का निर्माण हो तुम,
                      सृष्टि को तो बचाना ही होगा!
तेरे अंश को जिसने किया विध्वंस,
    उसका फिर मूल्य चुकाना ही होगा!
          करना होगा नव-निर्माण सृष्टि का,
           मेरी लाड़ो!इस देश तुम्हें ''आना ही होगा,,,,!
                 इस धरा का अभिमान हो तुम,
इस धरा का जीवन फिर से लौटाना होगा,,,!
      जो कृत्य किया नीच मनुज ने,
          उसका फल उसे भोगना होगा!
             तेरे अस्तित्व से छेड़छाड करनें का,
                    दंड बड़ा ही दुष्कर होगा!
मानव-जीवन की इस परंपरा कों,
    अब तुम्हें बचाना ही होगा!
         इस देश तुम्हें आना ही होगा मेरी लाड़ो,,,,,!
              बिन राधा के कृष्ण है आधा,
                  सीता के बिन नही राम कहीँ,,,,,,!
नारी के अस्तित्व केबिना कही,
     किसी पुरुष का कोई नाम नही!
           फिर कोई कहता ये कैसे?
                 ना आना इस देश मेरी लाड़ो,,,,,,!
                   इस धरा का सुन्दर पुष्प हो तुम,
खिलकर धरती पर लहलहाना ही होगा!
      सुन्दर सृष्टि का अतुलनीय रूप हो तुम,
          उस सुंदर सी आभा को बचाना तो होगा!
                 इस धरती का अस्तित्व बचाने को तुम्हें,
                     इस देश तुम्हें आना ही होगा मेरी लाड़ो,,,,,,,!
तुम दुर्गा हो! तुम काली हो!
      जग-जीवन देनेवाली हो!
         जीवन की सुन्दर बगिया में नयें,
             फूल खिलाने वाली हो!
                सारी सृष्टि का आधार और शक्ति 
करनी ही होगी सारे जग को तेरी भक्ति।
   प्रकृति की शक्ति निहित है तुममें,
       मिलकर सबको करनी होगी ये विनती
         सृष्टि का संरक्षण  और सृजन करनें ,
  इस देश में तुझकों आना ही होगा मेरी लाड़ो,,,,,,!
  ,नव-सृजन करके संसार बचाना ही होगा,,!

💐विश्राम💐

  स्वरचित और मौलिक
     सर्वाधिकार सुरक्षित  
लेखिका:- शशिलता पाण्डेय             


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