जय श्री
है कण कण राम का
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कण कण में है राम
है कण कण श्री राम का
जग गाता है यश गान
अयोध्या धाम का
सदियों से है अवधपुरी
हिंदू का आस्था केंद्र
ज्ञानी दानी सत्यवादी
हुए यहां नरेंद्र
राम की शक्ति पूजा कर
अमर हुए निराला
जिसने नमन किया श्रद्धा से
वही बना ज्ञानेंद्र
सर्व शक्तियां दिन रैन
करें भजन श्री राम का
कण कण में हैं राम
है कण कण श्री राम का
अत्याचार के दमन हेतु
लिया जन्म में भारत भू पर
मर्यादा स्थापन हेतु
गए वन वैभव त्याग कर
राम कृपा से तुलसी ने
मुगलों का मान गिराया
जातिभेद मिटाया
शबरी का जूठन खाकर
अनवरत करती है प्रकृति
वंदन श्री राम का
कण कण में हैं राम
है कण कण श्री राम का
गंगा यमुना सिंधु बेतवा
सारी नदियां हर्षायी
नव निर्माण हेतु
तीर्थ तीर्थ से मिट्टी आयी
राम राम के नाम मात्र से
सारे संकट कट जाते
केवल भारत देश नहीं
सारे जग में खुशियां छायीं
रच रामचंद्र चंद्रिका केशव ने
मंत्र जपा श्री राम का
कण कण में हैं राम
है कण कण श्री राम का
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ( ओज कवि एवं समीक्षक) कोंच,
जनपद-जालौन,उत्तर -प्रदेश-285205
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