मंच को नमन
दो दोहे समीक्षार्थ प्रस्तुत
नैन बड़े अनमोल है,सब सांची कह देत।
नैन नैन से नैन को , गोदी बैठा लेत ।।
नैनी नैनी बात सब, नैन नैन कह देत ।
पलक झपकते नैन ने ,पहाड़ बनाए रेत।।
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मैं घोषणा करता हूं कि यह दोनों दोहे मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक) कोंच
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