'बदलाव मंच' कवि व समीक्षक भास्कर सिंह माणिक कोंच जी द्वारा रचित दोहे

मंच को नमन
दो दोहे समीक्षार्थ प्रस्तुत

नैन बड़े अनमोल है,सब सांची कह देत।
नैन नैन से नैन को , गोदी बैठा लेत ।।


नैनी नैनी बात सब, नैन नैन कह देत ।
पलक झपकते नैन ने ,पहाड़ बनाए रेत।।
----------------------------------
मैं घोषणा करता हूं कि यह दोनों दोहे मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक ( कवि एवं समीक्षक) कोंच

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ