बदलाव मंच
स्वतंत्रता दिवस पर भाषण, काव्य गद्य मिश्रित आयोजित प्रतियोगिता
दिनांक- 03/08/2020
कैसे हुई प्रेरणा, कैसे हुआ क्रांति का गान,*
कैसे भारत मां की खातिर,हुए कोटि बलिदान*।
सन सनतावन के आगे की है ये कहानी,*
मात्रभूमि की खातिर, जिन वीरों ने दी कुर्बानी।*
गुलामी की दास्तां और जुल्मों सितम की पराकाष्ठा, चरम सीमा लांघने के बाद देश के वीरों का खून खौला,जान की बाजी लगा जो अंग्रेजों से मुक्ति दिलाई।
स्वाभिमान सबका तब जागा तो देश का वीर जवान, जान पर खेल देश को बचाने की ठानी ऐसे में वीर भगत सिंह, सुभाष,तात्या टोपे, लक्ष्मीबाई, बिस्मिल, राजगुरु जैसे अनेक महान देशभक्तों ने हंसते-हंसते शहीद हो गए।
आज उन शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं, जिन्होंने आजाद देश दिया, महफूज हमें करने को अलविदा वह कह गए, आज,जब भी शत्रु आंखें उठाकर देखें,तो सेना पार जवानों का आक्रोश उनकी जाबाजी देख, उनकी देश रक्षा को सलाम करता है एवं देश का हर सच्चा देशभक्ति से मुक्त कंठ से गाता है----
आन हूं,बान हूं,शान हूं,मैं भारत हूं, आदि काल से त्याग तपस्या, शहादत में अनवरत हूं।
है वीरों की यह धरा,
सबका अपना सानी है
आंच आने देंगे भारत
मां पर हम सब ने ठानी हैं,
दिल में रखकर जोश,
है चेहरे में अनोखा ओज
हर बच्चा सुखदेव, भगत, बिस्मिल और सुभाष चंद्र बोस हूंकार भरते बड़े चले
कण- कण लुटाते जाएंगे
स्वर्णिम अपनी धरा पर
सर्वस्व मिटाते जाएंगे।
पुरखों ने सिखाई त्याग, तपस्या और कुर्बानी थी,
मुनि दधीचि अभिमन्यु, भरत जैसे की बानी थी,
सीने में गोली खाकर हूंकार
भरू, राम का ऐसा भरत हूं ,
आन हूं,बान हूं, शान हूं,मैं भारत हूं।
धन्य है वह लोग, धन्य है यह धरा, देश की खातिर जिसने दी कुर्बानी धन्य है,वह आदि अनंत शक्ति, सत्य की पराकाष्ठा, एकता, भारत की अखंडता,धन्य है, वह समर्पण, मातृभूमि का प्रेम, प्राणों का अर्पण, जो अंग्रेजों की हुकूमत के आगे झुकने न दिया। ऐसे भारत भूमि के वीरो के आगे आज सर नतमस्तक हैं, और उन्हें श्रद्धा सुमन समर्पित करते हुए, करता शत शत अभिनंदन है, शत- शत अभिनंदन है ,
तब मन प्राण गा उठता है ------
धन्य वीर इस धरा के,
धन्य उनकी निष्ठा भक्ति,
धन्य हुए कृष्ण और शखा
जिनके
धन्य अर्जुन की शक्ति,
सत्य की पराकाष्ठा, देवी सीता की अग्नि परीक्षा दी,
दुश्मनों को धूल चटाने,रानी लक्ष्मीबाई की इच्छा थी।
है,धन्य धरा की मूरत,
धन्य वीरों का समर्पण,
मुगल हो या अंग्रेजो की हुकूमत,।कभी ना टिक पाते थे,
भारत भूमि के वीरों के आगे,
सिर सबके झुक जाते थे,
इसी शहादत पर लिखी,
वीरों की वहीं इबारत हूं,
आन हूं, बान हूं, शान हूं,
मैं भारत हूं।
*सच्चे देशभक्त होने का प्रमाण लिखता हूं*,
*मां भारती को अपना सलाम लिखता हूं।*
माधवी गणवीर
छत्तीसगढ़
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