कोरोना का और रक्षा बंधन

---कोरोना का और रक्षा बंधन ----

भाई बहन की खुशिया
हज़ार लेकर कच्चे धागे का
बंधन रक्षाबंधन का त्यौहार।।


सुबह शाम दिन रात गिनती
बहना करती रक्षाबंधन का इंतज़ार।।

ख़ाबों और खयालो में बुनती
भाई से क्या लेगी रक्षा बंधन की
सौगात ।।                               

आ ही गया वो दिन लम्हा
जिसका करती है बहना इंतज़ार।।

रक्षाबंधन की खुशियों में ग्रहण
लगाया कोरोना काल ।।           

भाई बहन
की मुरादों की खुशियों का क्या
होगा अब हाल।।

घर से निकलना मुश्किल कही
लॉक डाउन तो कही इलाका शील
बहना भाई के घर जाए कैसे  
भाई बहना के घर जाए तो
जाए कैसे।।                     

लाकडॉन की मार साहस करन 
चाहे भी  शासनप्रशासन की एहतिहात।।

इलाका शील घर से निकलना ही मुश्किल क्या करें भईया बहना दोनों है लाचार।।

कोरोना में करो ना कुछ भी ना
मनाओ खुशिया त्यौहार हाय 
कोरोना काल दुनिया है बेहाल।।

कोरोना में मोबाईल कंप्यूटर का
व्यवहार आन लाइन ही चल
रही दुनिया और बाज़ार।।

रिश्ते तो ह्रदय के भाव सामाजिक
दायरा बंधन हो नहीं सकते कभी
कम्प्यूटर मोबाइल आन लाइन बाज़ार।।                           

 रिश्तों को 
संग संग जीना पड़ता चलना
पड़ता रिश्तों की ही खुशियाँ त्यौहार।।

चाहे जो भी महबुरी हो भगवान्
भी रोकना चाहे राह ना तो बहना
मानेगी ना तो भाई जायेगी शान।।

भाई बहन का एक दूजे का प्यार
कोरोना को देगा मात हार।।

बहना भाई बांधेंगे मास्क सेनेटाइज़ करेंगे हाथ सामाजिक
दुरी होगी  बहना बंधेगी राखी भाई
के हाथ ।।

भाई बहन के मन मंदिर में बैठा भगवान् एक दूजे की मंगल कामना दीर्घायु खुशियो का 
देगा  आशिर्बाद ।।              

अदृश्य कोरोना
विषाणु देख इस दृश्य को  भारत के रिश्तों प्यार हो जायेगा शर्मशार।।

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर

Badlavmanch

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