भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को आया यह पावन हरितालिका तीज।
आओ सुहागिनें मनाएं,सुहाग की रक्षा के लिए रखें व्रत,और बोएं प्रेम का बीज।
मन के आँगन में अनुराग के सुमन खिलाएं,
आओ हम पावन हरितालिका तीज मनाएं।
जब तक गगन में सूरज चंदा चमके,
तब तक हाथों में चूड़ी-कंगन खनके।
हे भोलेनाथ,ओ मेरे शंकर भगवान।
कृपा करो मुझपर अपनी कृपा निधान।
जब तक रहूँ धरा पर,तब तक साजन हो मेरे साथ।
जीवन के झंझावातों में छूटे नहीं कभी मेरा हाथ।
रखना मेरा अखंड सुहाग।
हर पल हो दिवाली- फाग।
अपने पिया की मैं बनूँ शिवांगिनी।
हर जनम बनूँ,मैं उनकी अर्धांगिनी।
मैं देखूं शिव अपने साजन में।
हर खुशियां नाचें मेरे मन में।
मैं न मांगू हे प्रभु तुमसे महल अटारी।
मैं रहूं हमेशा अपने पिया की प्यारी।
और न चाहिए हीरे-जवाहरात-हार।
मांगू हर जन्म अखंड सुहाग उपहार।
यही मुराद लेकर आयी हूँ तेरे द्वार।
माँग रही हूँ मैं अपना आँचल पसार।
हे शिव शंकर, करो बेड़ापार,
होगा मुझ पर बहुत उपकार।
सुन लो मेरी पुकार।
सुन लो मेरी पुकार।
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