संस्कृति... गौरव ... उन्मेष ....

नमन मंच
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संस्कृति... गौरव ... उन्मेष ....

जग में विश्व गुरु भारत कहलाता, 
यहाँ का गौरव पश्चिम तक गाता !
हृदय में प्रेम का उदधि लहराता, 
भोर अमृत निर्झर रस बरसाता!

संस्कृति सभ्यता है हमारी पहचान,
ये भारत का गौरव भारत की शान !
राम कृष्ण महावीर बुद्ध से अवतारी,
अलबेले कबीर सूर तुलसी रसखान!

सतरंगी किरणों का स्वर्णिम डेरा,
भारत के आंगन में उगे रवि का फेरा!
जीवन निधि गुरुकुल के गहन संस्कार ,
कोहिनूर बने उज्जवल भविष्य आधार!

गंगा जमुनी पावन है तहज़ीब हमारी,
ईद क्रिसमस बिहू पोंगल मनें दीवाली !
स्वतन्त्रता और पावन गणतंत्र दिवस, 
जनमन में बढे उत्साह बरसे समरस !

नर में ही नारायण के ये दर्श कराती ,
चींटी से हाथी सबका पालन कराती! 
कर्तव्यनिष्ठ सजगता का पाठ पढ़ाती ,
बडे बुजुर्गों का मान सम्मान सिखाती!

नेह की सुकृत छांव सदाचार सिखाती ,
बालमन की सुदृढ नींव आचरण बनाती!
शिक्षा देकर अन्तस उजियारा फैलाती, 
हृदय मन्दिर में ज्ञान दीप जलाती!

किंतु ...

पाश्चात्य संस्कृति ने मन मलिन किया,
भ्रमित युवावर्ग सब संस्कार भूल गया! 
सनातन संस्कृति का बिगुल बजाना है, 
हम सुधरेंगे जग सुधरेगा अलख जगाना है !!

✍️ सीमा गर्ग मंजरी
 मेरी स्वरचित रचना
 मेरठ
सर्वाधिकार सुरक्षित @

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