🌹कारे-कारे मेघ अम्बर पर आयें🌹
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आमोदित मन मयूर करें नृत्य,
कारे-कारे मेघा अम्बर पर आयें।
उमड़-घुमड़ के बरसें बदरा,
हर्षित दादुर झूम-झूम के गायें।
रहि-रहि शोर मचावे जंजीरा,
जरत जिया में आग लगायें ।
उष्म-वेदना वेदित वसुधा तड़पे,
रस भींगत तन खिल-खिल जायें।
हरियाली वसन कर धारण ,
अचला तन अलंकार सजायें।
वसुधा ललाम पर लज्जा की लाली,
दामिनी दमक दर्पण दिखलायें।
अम्बर से बरसें प्रेम-सुधा मेघपुष्प,
चंचल चित चपला चम-चमचमकायें ।
अम्बर पर आयें मेघा उमड़-घुमड़ कर ,
नव-पल्लव झूम-झूम कजरी गायें।
ग्रीष्म उष्मा से पीड़ित वसुधा प्यासी,
धरा मनाये जल बरसायें बदरा आयें।
सुन्दर सुमन खिले सौरभ महके,
मधुकर फूलों से रस-पुष्प चुरायें।
पवन करे तन को आनंदित छूकर,
पवन पुरवाई मस्ती में लहराये।
वन में पीहू-पीहू गायें मोर पपीहा,
कारे-कारे मेघ अम्बर पर छाये।
सिंधु-सरिता अथाह जल-पूरित
उमड़-उमड़ हर्षित तट बंधन तोड़े।
बरस-बरस सावन अति मनभावन,
धरा-गगन मिलन के प्रणय गीत गायें।
पावस ऋतु अति मनभावन सावन,
कारे-कारे मेघ अम्बर पर आयें।
स्वरचित और मौलिक 💐 समाप्त💐
सर्वाधिकार सुरक्षित
लेखिका:-शशिलता पाण्डेय
Badlavmanch
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