खुशवंत माली जी की अटल शब्दांजलि

कविता- हे! अटल तुम्हें हम क्या दें?
हे! अटल तुम्हें हम क्या दे?
माँ भारती का भाल दें,
या बाण कृपाण दें।
शस्त्रों की उग्र वेला में,
तुमने बलिदान दिए अगनित,
अखण्ड भारत के स्वप्न से,
स्वराज मंत्र को जिया।
भारत को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने को,
नदियों को जोड़-जोड़ जन-जन तक पहुँचाने को,
संकल्प अनेक किए तुमने!
नित-नूतन आते विघ्नों को तोड़-तोड़ धरती अम्बर को छूम गए।
माँ भारती के भारत को,
भारतीयता के ताने- बाने,
नित ज़्वर रूप से बढ़ाने को
जीवन दान किया तुमने!
युग-युग तक तेरा गौरव गान रहे,
भारत में तेरा नाम रहे।
तेरे बलिदानों, संकल्पों को,
दृढ़निश्चयों, प्रतिज्ञाओं को,
"राजेश" करता सलाम तुम्हें।
पुष्पों से अर्पित पुष्पाञ्जलि तुम्हें!
शब्दों सेअर्पित शब्दाञ्जलि तुम्हें!
अश्रुपूरीत नम नयनों से,
श्रृद्धाञ्जलि तुम्हें!
जीवन की उज्ज्वल अमर यादों से, संघर्षों से,
मेरा बारम्बार प्रणाम तुम्हें!
पुण्यतिथि की पावन वेला में
माँ भारती के लाल को,
जन-जन के दूलारे को,
संस्कृति के रखवाले को,
शब्दों का सम्मान तुम्हें।
हे! अटल तुम्हें हम क्या दे?
माँ भारती का भाल दें
या बाण- कृपाण दें।।
खुशवन्त कुमार माली उर्फ "राजेश" सिरोहीयाँ।।

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