राजीव रंजन जी की प्रेम कविता #बदलाव मंच

प्रेम पहले और आज 

पहले लोग एक-दुसरे से प्यार करते थे,
खत से अपने जज़्बात का इजहार करते थे।
कभी खत्म नहीं होता था लफ्ज़ों का खजाना,
जबकि एक खत में बातें ये हजार करते थे।

पहले लोग एक-दुसरे से प्यार करते थे,
वर्षों एक-दूजे का इंतजार करते थे।
जमाने से डर नहीं,खुद में हया थी जरुर,
छुपते-छुपाते सनम का दिदार करते थे।

पहले लोग एक-दुसरे से प्यार करते थे,
मिलने का वादा हर बार करते थे।
पर मुश्किल से होता था मिलना इनका,
मिलने पर भी बातें ये दो-चार करते थे।

पहले लोग एक-दुसरे से प्यार करते थे,
संग जीने-मरने का इकरार करते थे ।

आजकल का प्यार देखिये —
आजकल लोग इश्क़ में डूब जाते हैं,
करते हैं बात इतना की ऊब जाते हैं।
हर रोज मिलते हैं एक-दुसरे से,
चिड़ियाघर और रेस्तरां भी खूब जाते हैं।

आजकल लोग इश्क़ में डूब जाते हैं,
वैलेंटाइन में चॉकलेट भी खूब खाते हैं।
एक पल की दूरी नागवार है इनको,
महबूबा के घर मिलने महबूब जाते हैं।
आजकल लोग इश्क़ में डूब जाते हैं–2
राजीव रंजन गया (बिहार) 

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