प्रेम हमारी ताकत#भास्कर सिंह माणिक, कोच, जी के द्वारा अद्वितीय रचना#

मंच को नमन
विषय-हमारा प्रेम हमारी ताकत है

प्रेम
का समय लेते हैं जो
जीवन में सही अर्थ
वह बन जाता है
उसकी ताकत
सच है
हमारा प्रेम हमारी ताकत है

प्रेम का
शत्रु करता है गुणगान
प्रेम बना देता है
कठिन से कठिन काम को
सरल
सच है
हमारा प्रेम हमारी ताकत है

प्रेम से
झुक जाते हैं
ऊंचे ऊंचे अडिग पहाड़
पलक झपकते ही
बन जाते हैं शूल भी फूल
प्रेम होता है
निर्भय
निर्मल
सरल
कोमल
प्रेम में वासना नहीं होती
प्रेम में स्वार्थ नहीं होता
प्रेम तो प्रेम है
पाषाण भी प्रेम से 
बन जाता भगवान
ग्रंथ में
देता है गवाही
प्रेम की
सच है
हमारा प्रेम हमारी ताकत है
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मैं घोषणा करता हूं कि यह रचना मौलिक स्वरचित है।
भास्कर सिंह माणिक,कोंच

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