कलम की ध्वनि से
शीर्षक श्रद्धेय झारखंड
विधा कविता
सुनो सुनाती हूॅ॑ मितवा झारखंड राज्य की मैं कहानी।
संस्कार ज्ञान से भरी है झारखंड की कथा है पुरानी।।
यहॉ॑ सुख चैन की रोटी खाती हूॅ॑ आराम से रहती हूॅ॑।
कार्य से फुर्सत मिले तो सत्संग में जाया करती हूॅ॑।।
झारखंड राज्य में भाईचारा है,हर एक घर घर में।
एकता का दीप जलती है झारखंड के हरेक घर में।।
पूजा जप तप नेम धर्म यज्ञ, सभी मंदिरों में होती है।
झारखंड में रोटी के लिए निर्धन महिला नहीं रोती है।।
अपनी पावन पुण्य झारखंड में गंगा जमुना बहती है।
हरेक मंदिरों में सब बहन मिलके शिव चर्चा करती हैं।।
पावन पुण्य झारखंड की भूमि में भगवा ध्वज गगन में है।
झारखंड में वीर सिपाही,सैनिक, मजदूर सभी मगन में हैं।।
झारखंड में हर एक बच्चा बच्चा श्री राम के जैसा है।
झारखंड की हर एक बेटियाॅ॑ माता सीता जी के जैसी हैं।।
सबसे सुन्दर सबसे प्यारा अपना झारखंड राज्य हमारा है।
झारखंड के हर कोने में,शुभ ज्ञान की उज्ज्वल धारा है।।
लेखिका
श्रीमती देवन्ती देवी चंद्रवंशी
धनबाद झारखंड
अप्रकाशित स्वरचित कविता
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