डॉ. राजेश कुमार जैन जी द्वारा खूबसूरत रचना#मंजूरी#

सादर समीक्षार्थ 
सृजन शीर्षक   -     मंजूरी 
आधार   -      मिश्रित दोहा
 

कोयल बैठी शाख पे , सुनते मीठे बोल  ।
मंजूरी सबसे मिली , पवन बजाती ढोल  ।।

मंजूरी   की   लालसा  ,  करते   सारे   लोग । 
कान्हा का हो साथ तो , मिलते छप्पन भोग  ।।

जो मंजूरी आप दें , चुन लें हम कुछ फूल  ।
भोले का  पूजन करें , भरें  हृदय  के शूल ।। 

मंजूरी  लो  मातुकी  , बनते  सारे  काम ।
श्री गणेश को पूजना , लेकर हरि का नाम  ।।

मंजूरी हो पास में , सफल बनें सब काम  ।
आशीषों के साथ में , हों न कभी व्यवधान ।।

मंजूरी प्रभु दीजिए , पूरन कीजे काज । 
मैं  भंवर  में  हूँ गिरा ,  लाचारी  है ताज ।। 

जब मंजूरी  दें गुरू ,  छंद लिखें भरपूर । 
जीवन साधक सा बने , अहंकार हो चूर  ।।



डॉ. राजेश कुमार जैन 
श्रीनगर गढ़वाल 
उत्तराखंड

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