सादर समीक्षार्थ
सृजन शीर्षक - मंजूरी
आधार - मिश्रित दोहा
कोयल बैठी शाख पे , सुनते मीठे बोल ।
मंजूरी सबसे मिली , पवन बजाती ढोल ।।
मंजूरी की लालसा , करते सारे लोग ।
कान्हा का हो साथ तो , मिलते छप्पन भोग ।।
जो मंजूरी आप दें , चुन लें हम कुछ फूल ।
भोले का पूजन करें , भरें हृदय के शूल ।।
मंजूरी लो मातुकी , बनते सारे काम ।
श्री गणेश को पूजना , लेकर हरि का नाम ।।
मंजूरी हो पास में , सफल बनें सब काम ।
आशीषों के साथ में , हों न कभी व्यवधान ।।
मंजूरी प्रभु दीजिए , पूरन कीजे काज ।
मैं भंवर में हूँ गिरा , लाचारी है ताज ।।
जब मंजूरी दें गुरू , छंद लिखें भरपूर ।
जीवन साधक सा बने , अहंकार हो चूर ।।
डॉ. राजेश कुमार जैन
श्रीनगर गढ़वाल
उत्तराखंड
0 टिप्पणियाँ