कवि अशोक शर्मा वशिष्ठ जी द्वारा रचित 'गणेश वंदना'

गणेश बंदना

        जय गणेश तुम्हारा अभिनंदन
शंकर पुत्र गौरी के नंदन
सारा जग करें तुम्हें बंदन
हरते विश्व का तुम क्रंदन

      एक दंत है दयावंत है छवि बड़ी प्यारी
माथे पर तिलक सुशोभित चार भुजादारी
मोदक है प्रिय, करे मूषक की सवारी
तुम सबके पालनहार सब पर कृपा तुम्हारी
 
      हे गजानन तुम्हारी महिमा महान
हम सब करें तुम्हारा गुणगान
तुम प्रथम देवता माता भवानी की संतान
हे गणपति तुम हो दयानिधान
 
     जय गणेश हरो संसार के क्लेश
पूरी करो मनोकामना पीडित रहे न शेष
हे विनायक तुम सब के सहायक
रिद्धि सिद्धि सुंदर सुखदायक
प्रसन्न हो सारे मंगल कामनाएं अशेष

          अशोक शर्मा वशिष्ठ

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