कवि रूपक जी द्वारा 'प्रकृति' पर कविता

प्रकृति......

रूपक भी क्यों ना करे तुमसे प्यार
तुम ही तो हो इस जग में सबसे सुंदर।

तुमसे तो ही है सारा जग इतना प्यारा
तुम्हारे लिए तो है इस जग में सभी प्यारा।

एक रंग नहीं सभी रंग तो है तुझमें ही समाया
तुम्हारे खुशबू से ही है ये सारा जग महकाया। 

तुम्हारी बाहों में आकर हर कोई हर गम भूल जाता है
तुम्हारी सुंदरता तो सबको अपने पास खींच लाता है।

तुम्हारे साथ जिंदगी जीने में अलग ही अनुभूति होता है
तुम्हारी दुनिया  माया की दुनिया से अलग ही रहता है।

तुमसे ही तो इस जग में हर कोई जुड़ा हुए है
रूपक तुम्हारी सुंदरता पहचान कर धन्य हुआ है।
©रूपक

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