कवयित्री डॉ. विजय लक्ष्मी जी द्वारा 'हे!विनायक' विषय पर गीत

शीर्षक-"हे विनायक"
विधा-(गीत)

हे विनायक! हे गौरी नन्दन!
करें तुम्हारा हम सब वंदन,
हे विनायक! हे गौरी नन्दन!
करें तुम्हारा हम सब वंदन।

प्रथमेश देवा तुम ही हमारे,
आरती उतारें,तिलक लगावें,
प्रिय मोदक का भोग लगावें,
दो बुद्धि का दान, हे मेरे देवा,(२)
हे विनायक! हे गौरी नन्दन........


रिद्धि-सिद्धि के तुम ही दाता,
शुभ-लाभ चहुंदिस फैल जाता,
संकट सारा सब मिट जाता,
मिल करत सब तुम्हरी सेवा,हे मेरे देवा२,
 हे विनायक! हे गौरीनन्दन.......

तुम्हीं गजानन,एकदंत हो तुम,
हे गणपति तुम्हीं उमापति लाल,
करी प्रतीक्षा, बीत गये दिन साल,
अब तो दर्शन दे दो, हे मेरे देवा,(२)
हे विनायक! हे गौरी नन्दन........

(स्वरचित)
डॉ०विजय लक्ष्मी
काठगोदाम,उत्तराखण्ड

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