*दस्तक*
अपनी तबियत के हालात हमसे बताये ना गए ।
वो आये ही इतनी जल्दी में कि जख्म दिखाए ना गए ।।
और दस्तक भी दी उसने तो उस चौखट पर जाकर ।।
जहाँ बुझे हुए दिए फिर से जलाये ना गए ।।
अश्क निकले जो उनकी याद में छिपाए ना गए ।
जो छोड़ गए थे हमें हमसे वो भुलाए ना गए ।।
जीना था जिंदगी को दूर रह के उससे पर ।
कर्ज ऐसे थे जो हमसे चुकाए ना गए ।।
शिवांगी मिश्रा
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